बेवजह पलकों पर बोझ डाला नहीं जाता। तेरा ख़्वाब आँखों में और पाला नहीं जाता। यूँ तो तुझको भूलने की कोशिश में हैं मगर, तेरा ज़िक्र हर बात पर टाला नहीं जाता। जो रख दिया हाथ एक बार अंगारों पर, ताउम्र हथेली का छाला नहीं जाता। जो बुझती है इश्क़ की लौ तो बुझने दो, इस आग में अब और घी डाला नहीं जाता। आप कहते हैं इस मुल्क को तहस नहस कर देंगे, अजी छोड़िये, एक पत्थर तो आपसे उछाला नहीं जाता। इस शहर में कोहराम है और आपको आराम है। हमारे तो हलक से एक निवाला नहीं जाता।
Write to Author
Be First to Comment