बहुत दूर हो जाऊँगा एक दिन देखना
मशहूर हो जाउँगा एक दिन
जख्म समझ कर भुला मत देना
नासूर हो जाऊँगा एक दिन
इश्क में कोइ इल्जाम सर नहीं रहता
बेकसूर हो जाऊँगा एक दिन
तू मुझसे लाख खफा सही
तुझको मंजूर हो जाऊँगा एक दिन
जितना सजना-सँवरना है सँवर ले
आइना हूँ, चकनाचूर हो जाऊँगा एक दिन
दिनेश गुप्ता ‘दिन’
Write to Author
Be First to Comment