भले ही तू मुझसे रहे खफा,
भले ही न तू करे मुझसे बात,
फिर भी तेरे होठों से जो नहीं अनजान
वो हैं तेरी मुस्कान !!
कहने को मैं भले ही रहता हूँ तुझसे दूर,
सपने में ही सही, बनता हूँ तेरी आँखों का नूर,
इस धरती पे अगर कुछ देख खुश होता है आसमान,
वो है तेरी मुस्कान !!
आज कल लोगों से लगने लगा है डर,
बाहर रखते थोड़ा सच और अंदर झूठ का समंदर,
आ जाते हैं करीब जिस वजह से जो थे कभी अनजान,
वो है तेरी मुस्कान !!
कुछ अपने हैं और कुछ पराये हैं,
लेकिन सब कभी न कभी सामने आये हैं,
मांगी है खुदा से बस एक ही चीज़ हर अज़ान,
कुछ और नहीं, बस तेरी मुस्कान !!
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