होंठ खामोश है तो क्या सीने में बवंडर नहीं रहता
जो जितना अंदर है वो उतना बाहर नहीं रहता
मिल ही जाती है किसी मोङ पर तो मंजिलें
जिंदगी में, जिंदगी भर तो सफर नहीं रहता
हर बार हमारी गजलों में आप हो जरूरी नहीं
ताउम्र तो किसी चेहरे का असर नहीं रहता
मुस्कुराते हुए चेहरों से धोखा ना खाइये
यहाँ कोई नहीं जिसकी आँख में समंदर नहीं रहता !
जाइये, कोई नहीं डरता आपसे यहाँ
किसी के दिल में अब खौफ का मंज़र नहीं रहता |
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