जिंदगी की ये चाल गजब है,
कैसा भी हो हाल गजब है
मुझको अपनी धुन पर नचाए,
तेरी नई ये ताल गजब है
मर गया भूख से साथी तेरा,
पर तू मालामाल गजब है
इंसान बन बैठा भेड़िया,
सत्ता का जंजाल गजब है
रोती रही वो हिरन रात भर,
पर तेरे जूतों की खाल गजब है
जागेगा और कितनी रात को,
दिल तेरा यह सवाल गजब है
आज भी तेरी याद दिलाता,
तेरा वो मखमली रुमाल गजब है
बस और कुछ अपने फिर हुए पराए,
बाकी गुजरा यहां साल गजब है
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