आप इस मुल्क में किस उजाले की बात करते हैं| यहाँ तो अंधेरे रौशनी से मिल कर के रात करते हैं| कोई मजहब नहीं है देश के गद्दारों का आप व्यर्थ में ही जात-पात करते हैं| इस शहर का मौसम भी कुछ अजीब है| बादल भी यहाँ घर देख के बरसात करते हैं| बेवज़ह ही चिंतित हैं आप मुल्क के हालात पे यहाँ तो हर रोज सङकों पर जज़्बात मरते हैं| जो मिल लिये जमाने भर से तो आइए जरा खुद से मुलाकात करते हैं|
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