कोई आस नहीं कुछ खास नहीं,कोई अनदेखा अंदाज़ नहीं |
कुछ अलग सी पहचान नहीं, सर ऊँचा है पर शान नहीं |
फिर भी चलते राहों में हम, कुछ पाते हैं कुछ खोते हैं |
जो अपने ना हो पाए वो सपने ही तो होते हैं ||1||
दिल से चाहा रब से मांगा, हर पल की थी फरियाद यही,
उसने जो भी मांगा तुझसे, मिल जाए सब कुछ आज यहीं |
पर हम ना कभी ये जान सके, फरियादों में हम थे ही नहीं |
तब से ही ये हालात बने, कभी हँसते हैं कभी रोते हैं |
जो अपने ना हो पाए वो सपने ही तो होते हैं ||2||
फिर भी रख तू आबाद उसे, ख़ुशियों की कमी हो उसे नही |
जब गमों की बारी आए तो, मेरे दामन में डाल सभी |
हँसना तो कब का भूल चुके, अब आँसू पलकें भिगोतीं हैं |
जो अपने ना हो पाए वो सपने ही तो होते हैं ||3|
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